Thursday 27 February 2020

हमर महतारी भाखा-सार छन्द

*#हमर_महतारी_भाखा*(सार-छन्द)

सार हमर महतारी भाखा,बोलन आनी-बानी |
अमृत आय जी गुरु घासी के,महानदी के पानी ||1

झरझर-झरझर झरना आरो,मैना जइसे बासे |
वीर नरायन गर्जत जेमा,बैरी दुबके पासे ||2

ठिनठिन-ठिनठिन बाजत भाखा,जगदलपुर कस लोहा |
ननपन के खखवावत गुस्सा,धरे हाथ के कोहा ||3

सुनव पिरोहिल के हाँसी जी,गली-गली के चारी |
लइका के किलकारी जानौ,आय बबा के गारी ||4

दरद ददरिया हमरे भाखा,करमा पंथी वाले |
बाँसगीत मा नाचै लोरिक,सुग्घर कलगी डाले ||5

ममता पाबे महतारी के,दया मया के कोरा |
छत्तीसगढ़ी गुरतुर बानी,जेहर सुख के पोरा ||6

ठेठ पंडवानी तीजन के,गेंड़ी रचपिच रइया |
दाउ मंदराजी के नाचा,भाखा अइसन दइया ||7

भरथरी तान मनभर गावै,जब खड़े सुरुज बाई |
रोवत लइका खेलन लागै,अन्तस भाखा दाई ||8

मस्तुरिहा के साहित सागर,छत्तीसगढ़ी पढ़लौ|
अब जागव-जागव संगी रे,भाग अपन तुम गढ़लौ ||9

चलन तान के जब्बर छाती,अइसन हमरे भाषा |
जन-जन के बल तारन तरनी,जिनगी के परिभाषा ||10

*#असकरन_दास_जोगी*

Friday 20 April 2018

विष्णुपद-छंद

*विष्णुपद छंद*

1 *नारी*

कतका राखे पर्दा भीतर,तभो आज पढ़गे!
अबला सबला कबके होगे,नारी अब बढ़गे !!1!!

सार सृष्टि के रचना करथे,दाई सब कइथे !
बेटी-बेटा देथे सबला,कतको दुख सइथे !!2!!

शोषण भोगिच भोगत अबले,सृष्टि बनिच जबले !
नैन तरी तो पाथे आँसू,मान रखे तबले !!3!!

बेटी बनगे वैज्ञानिक जी,मान बढ़े सबके !
शांत्ति क्रांत्ति अउ करही गर्जन,कार रहै दबके !!4!!

पूजा झन कर देवी कइके,बेटी तो कइले !
कोख तरी मा मारच काबर,तहूँ दु:ख सइले !!5!!

मर्जाद बँचे बेटी ले जी,करथे घर सकला !
सुघ्घर संसार सजे रइथे,लूटव झन हक ला !!6!!

आज भाग के लेखा भठगे,करम खुदे लिखथे !
सबला पाठ सिखाके संगी,अपन घलो सिखथे !!7!!

2 *धूवा मारे*
(भ्रूण हत्या)
*गुरु घासीदास अमृतवाणी : एक धूवा मारे तेनो तोर बराबर आय*

धूवा मारे काबर पापी,पाबे का मन के !
बेटा मिलही ता का करबे,चलबे का तनके !!1!!

बेटी-बेटा मा भेद करे,लाज कहाँ लगही !
नाक-कान तो बेंचे बइठे,कोन भला ठगही !!2!!

नारी-नारी बर जी जलथे,मोर इही कहना !
ममता देहव तबतो दाई,सुघर संग रहना !!3!!

धूवा सँचरे लालच ठाने,मशीन मा दिखथे !
चेक कराके फाँदा डारे,पापी मन हिलथे !!4!!

डॉक्टर बनथे संगी तुँहरे,लोभ फूल खिलथे !
नियत-धरम के सौदा करथे,कोख तहाँ मिटथे !!5!!

कतको धूवा अलहन सँचरे,मया जाल फँसके !
धूवा मारव काबर संगी,आज तुमन हँसके !!6!!

नाबालिक में धूवा परगे,बोल कोन रखही !
पाप मान के फेंकैं सबतो,कुकुर खड़े भखही !!7!!

करथव काबर अइसन गलती, रोथन मर मरके !
बिनती हे तुम रोकव अलहन,जीथन डर डरके !!8!!

जेकर उजड़े कोख जान ले,हिरदे हा जरथे !
जीथे काया दिखथे सबला,अंत्तस हा मरथे !!9!!

जानौं बढ़िया बात सबो जी,गुरुजी जब रहिसे !
छोड़व अइसन पाप करम ला, सबला तब कहिसे !!10!!

बैना संस्कृति चालू करके,क्रांत्ति करदिच सगा !
सतगुरु घासी जेकर परिचय,सबला कहवँ जगा !!11!!

कोख तरी तब लइका बाँचै,धूवा बंस पलै !
पढ़े लिखे अब पापी होगैं,कोख मरघट चलै !!12!!

3 *मोखारी*

बबा लाय हे दतवन नोनी,दाँत बने घँसबो !
जीभ सीप के कुल्ला करबो,कुची फेंक हँसबो !!1!!

बनतुलसा बर बोइर बमरी,टोर लन चिरचिरा !
करंच मउहाँ सब्बो दतवन,लीम हे किरकिरा !!2!!

बमरी सोंटा के मोखारी,गाँव-गाँव चलथे !
घड़ी-घड़ी मा खेलत खावत,आज कल निकलथे !!3!!

हँसिया बाँधै डँगनी धरके,दतवन अभी मिलही !
लाम छँड़ा ला टोरै सब्बो,दाँत तभे खिलही !!4!!

नवा जमाना धरके आगे,टूथ ब्रस घँसरबे !
टूथ पेस्ट तो रइथे बढ़िया,देख तहूँ फँसबे !!5!!

मजा कहाँ जी दतवन जइसन,करू लीम बमरी !
दाई बाबू माँगत हावै,चलना जी लमरी !!6!!

बैकटेरिया मरथे नोनी,बढ़िया मुँह लगथे !
साफ दाँत तो दिखथे चकचक,बदबू हर भगथे !!7!!

सुरता बढ़थे बमरी घँसले,यहू बुता करले !
आवाज मधुर बोइर करथे,ध्यान यहू धरले !!8!!

नैन जोति तो बढ़थे बर ले, श्वेत प्रदर हँटथे !
रक्त प्रदर के नाशक होथे,केत बने मिटथे !!9!!

दतवन के अब देखव जादू, घर-घर सुख लमरे !
लाख बिमारी नाशक बनके,मेटे बर टमरे !!10!!

मूत्र रोग अउ पथरी स्वाँसा,दाँत सेंध्द हिलना !
मुँह के छाला अउ पायरिया,सबला हे मिटना !!11!!

पेट चेहरा बढ़िया सेहत,झुमरत मन करले !
कफ ब्लड प्रेशर जाही सबके,गाँठ बाँध धरले !!12!!

अइसन होथे जी मोखारी,जादू बड़ चलथे !
देश मोर तो घँसथे दतवन,केत हाँथ मलथे !!13!!

4 *पापी*

पापी सकल पाप मा फदके,देखत मन हिलथे !
नाम पान के आसा राखे,गली-गली फिरथे !!1!!

सतगुरु कइसे मिलही हमला,रोज पुछत कइथे !
हपट हपट के रेंगै रस्ता,थके थके रइथे !!2!!

बने नही सतकर्मी संगी,आज माथ पटके !
करले पहिली जइसे मनके,तोर काय अटके !!3!!

मौज मार के जिनगी काटे,काबर अब डरथे !
घाट घाट के पानी पीये, नैन तरी झुलथे !!4!!

माया फाँसे हंसा जाने,अब उपाय करले !
जपले पुरस नाम ला संगी,ज्ञान ध्यान धरले !!5!!

*5 भासा के सरिता*

गाँव गली मा खोजवँ संगी,मिलही जी मन के !
जइसन तइसन चलही जिनगी,सुनते जी जन के !!1!!

आत जात हे साँसा रोजे,मालिक के सुरती !
भार भरोसा अंत्तस राखे,करही मन पुरती !!2!!

बात बात मा हाल हलाथच,पाबे का लड़ के !
लोभ खोभ के नइहे जिनगी,रइबे का अड़ के !!3!!

काँट छाँट वो करथे रचना,जेकर हे कविता !
सबद सबद ला जोड़त रइथे,भासा के सरिता !! 4!!

काबर कइथव हमला नेता,बेटा हम घर के  !
कतको जइसन नइहन हमतो,सेवा लव धरके !!5!!

घाट घाट के पानी लानैं,जाँच परख करथे  !
कतको पीते-पीयत तरगैं,कतको तो डरथें !!6!!

हपट हपट के रेंगै संगी,रस्ता हे सत के  !
गोल मोल हे जेकर बानी,नइहे वो गत के !!7!!

*रचनाकार : श्री असकरन दास जोगी*
मो.नं.: 9340031332
www.anjoripakh.blogspot.com

सार-छंद

*सार-छंद*

सार-छंद के रचना खाँटी,सबद-सबद के मोती !
अलथा-कलथा गुँथबों माला,होय नही जी फोती !!

*सारनाम के गठरी*

सार नाम के बाँधे गठरी,तेने लखही भाई !
आने ताने भज के मैना,कोड़ै खुद बर खाई !!1!!

अंत्ते-तंत्ते देखत नैना,लाहो लेथच बैरी !
सत्तनाम रे! अंत्तस साखी,पापी होगे खैरी !!2!!

साध-साध मा कोनो जाही,रस्सा संकट छाये !
साधे साधक तब तो पाही,नइते रोवत आये !!3!!

रूप रंग के नोहै रस्ता,माया कपटी होथे !
कंचन काया साधक तोरे,साधे जस ला धोथे !!4!!

जपव नाम रे निरगुन मनवा,ओही पार लगाही !
जगत भगत तो राखे साँई,सतगुरु आज लखाही !!5!!

*संझा बेरा*

करही पाके खनखन बाजे,बमरी फर तो गाँसे !
परसा फूले बोइर झरगे,लीम झुमर  के हाँसे !!1!!

बनतुलसा के रुँधना काड़ी,उल्ला भाजी बगरे !
डूमर डारा हरियर छाये,मैना गावत हबरे !!2!!

सूरुज ऊँघत बुड़ती कोती,पीपर पड़की डेरा !
घुघवा खुसरा बाहिर निकले,होगे संझा बेरा !!3!!

पानी पसिया पीयावन जी,नोहै हमर झमेला !
सुरर-सुरर के डारन पैरा,खावै गरुवा जेला !!4!!

बिजली बरगे अँगना-अँगना,मन मंदिर मा दीया !
पोहे अंग-अंग मा निरगुन,सुरती बाँधे जीया !!5!!

करम-मरम के पढ़ले पोथी,तीरथ लागै अँगना !
राज-राज ला काबर फिरबे,दाई बाँधत बँधना !!6!!

होगे संझा बेरा संगी,गीत मया के गाना !
पुरखा छोड़े जेउन बाना,सबो मिल जुल उठाना !!7!!

*गरमी के रस्ता*

गरमी बाढ़त झोलत पुरवा,अंग-अंग हे लहकत !
थथर-मथर जी रेंगवँ रस्ता,घाम-ताव हे लउकत !!1!!

गोबर बिनई फदके संगी,खेत-खार मा सुंदरी !
झउहाँ-झउहाँ गोबर बोहें,पहिरें दमकत मुँदरी !!2!!

टेही पारत राउत भाई,गरुवा ठाँसे बगरत !
बिदबिद-बिदबिद करथे गरुवा,राउत अड़बड़ हफरत !!3!!

तरिया नरवा नइहे पानी,जगा-जगा हे ठकठक !
आवत-जावत खोजयँ पानी,खोजत-खोजत अकबक !!4!!
लुचई पल्टू सरना सफरी,नइहे संगी नरई !
लागे आँसो सुक्खा खेती,दिखथे साँवा जरई !!5!!

एक कोस के भदरा,मोर गाँव हे लकठा !
हाँथ गोड़ के ताता थइया,रस्ता बाढ़त बकठा !!6!!

*ठूड़ा चीरइ*

चलना ठूड़ा चीरे जाबो,जोरव जेवन पानी !
काट-काट के लेगैं रुखवा,खेत-खार ले रानी !!1!!

खेत-खार मा दर्रा मारे,पहिरव चप्पल चमचम !
रेंगत जाबो झुमरत जाबो,दिखबो बढ़िया दमदम !!2!!

डोरी धरले लाबो झींटी,बाँध-बाँध के जोही !
रमरम-रमरम बरही आगी,आँखी नइतो रोही !!3!!

ननकी बेटी जाही बाई,बिनही चिल्फा छटकन !
लकर-धकर तो ढ़ोही बोझा,आही जाही झटकन !!4!!

गुर्री बर तो फरिया लेजा,धरलन डँगनी झउहाँ !
बड़े साँप तो घेरय रस्ता,नाव हवै जी गउहाँ !!5!!

दादू गे हे बरदी ठोंके,आही ओही कोती !
छेना बर तो गोबर पाबो,झन कर येती ओती !!6!!

बारे बर तो छेना लकड़ी,गाँजे रखबो खरही !
हाँसत गावत टरही बेरा,चुल्हा बढ़िया बरही !!7!!

*आज के पानी*

आज घोर के बरसे पानी,संग करा के आना !
खेत खार ले राखवँ भाई,मारत बादर ताना !!1!!

कुँदरा होगे पानी-पानी,डोलत रुखवा डारा !
बाजे फड़फड़-फड़फड़ पाना,गरुवा चरथे चारा !!2!!

भींके कसके बोरा बोरी,माँटी महके सौंधी !
आवव खाबो अड़बड़ होरा,राँधव बटरा औंधी !!3!!

पेंड़ बढ़े हे देखव संगी,जेमा गंगा अमली !
टोर-टार के खावव भाई,मारव झन रे टँगली !!4!!

मुँड़ी-कान अउ कपड़ा भींगे,गोड़ हाथ तो काँपे !
कोन छोर मा गरमी टरके,भरही धरती नाँपे !!5!!

खेत खार ला खेदवँ गरुवा,टेही पारत आजे !
देखत बइठे लबरी टूरी,गहना-गोठी साजे !!6!!

गाँव ददरिया झुमरत पड़की,जोही टिहकत कचरा कारी,लागे हिरदे लेही !!7!!

देख आज के पानी रानी,तोरे चर्चा छाये !
बिन मौसम के फाँदा डारे,परछो लेहे आये !!8!!

*कइसे मिलना होही*

बँड़ोरबे तँय कतका बैरी,बनके केत बँड़ोरा !
हिरदेे बीच बसे हच जोही,देख मयारु पँड़ोरा !!1!!

भसकटिया कस कटही घेरा,लागे निमगा हे करु !
होही गरु कतको बर संगी,फेर मोर बर हे हरु !!2!!

बाँस फाँस कस धरहा धारी,पाये कंचन काया !
गढ़े कोन बिधि सोंच बिधाता,बनगे अइसन माया !!3!!

होगे चंदा लजकुरहिन रे,लाज मरे मुँह तोपे !
बादर पल्लो जब-जब टारे,तोर रूप हा घोपे !!4!!

कोसाही के लुगरा लाने,आज अँवासे मैना !
सेत मोंगरा जइसन लागे,दरस पियासे नैना !!5!!

गोंदा छाप गोदना पारे,रूप निखारे अलमल !
पैरी करधन रुपिया साजे,राखे बइठे छल-बल !!6!!

बहुँटा बाँहुक बनके आथे,सपना टोरत रोजे !
खुलगे आँखी घुघवा बनके,रतिहा तोला खोजे !!7!!

हाल हलाथे सुरता अयरी,मनवा भरही भोगे !
हिरदे पड़की घुटरत रोथे,हाल मोर का होगे !!8!!

अमरबेल कस देख लमेरा,कतको घपटे आसा !
हंसा कलपे नैन बताही,दुख के निकले लासा !!9!!

बछर-बछर अब बीतत जाथे,कइसे मिलना होही !
कचर-पचर सब बात सुनाथें,धीर धराना जोही !!10!!

*भड़ौनी*

दार-भात के संगी माँधो,हमला कइथे आतो !
हेरवाय हे बटकी-बटकी,सबला कइथे खातो !!1!!

दमाँद बाबू कबरा दिखथे,चँदवा जेकर भाई !
बबा ददा के पातर मेछा,चिकनी पँड़री दाई !!2!!

लबरा घर खावै ता मानै,फरी-फरी हे हाना !
जइसन दमाँद बाबू माँधो,वइसन होगे ताना !!3!!

जुटहा येकर खेब्बा भाँटो,अड़बड़ करथे नखरा !!
पानी माँगे घेरी-बेरी,बइठक लाने पखरा !!4!!

कुबरी बहिनी मटकुल दादी,सउँख हवै रे भारी !
कोसाही के लुगरा तानैं,हवैं भले जी कारी !!5!!

कका-बड़ा हे अँधवा-कनवाँ,देख परोसी खाँसे !
गाँव-गली मा रेंगट हपटें,सबके सब तो हाँसे !!6!!

मड़वा हरियर भरन भड़ौनी,झन कर टोका-टाकी !
ससुरार कहाँ अइसन पाबे,कपटी तोरे काकी !!7!!

मजाक सइथैं दुलहा राजा,रीसा झन जी लइका !
खाँटी दमाँद बाबू बनबे,बाजत गुस्सा फइका !! 8!!

*कका के बिहाव*

कका बता कब करबे शादी,देख जवानी जाथे !
बइठे रोथे दादी दादा,संसो चानी खाथे !!1!!

ढ़ींचिक-ढ़ींचिक नाचत जाबो,बनके तोर बराती !
पागा-पगड़ी माथ बँधाये,देखे राह घराती !!2!!

गँड़वा-डीजे जेन लगाले,नागिन पार बजाबो !
बुड़हा-बुड़ही रंग जमाही,सबला खींच नचाबो !!3!!

दाई कइही जी देरानी,घर अँगना के रानी!
आव-भाव मा देवी रइही,देही सबला पानी !!4!!

रोजगार के करले जोखा,करथच रोज बहाना !
गाँव गली मा सुनथे बाबू,देथैं कतको ताना !!5!!

नवा-नवा तो कपड़ा लाबे,बनबे बढ़िया राजा !
इसनो अबरख साज लगाबे,दिखबे सुघ्घर ताजा !!6!!

काकी पाबो भाग जगाबो,मया दया तो देही !
पइधे रइबो हमतो रोजे,चूमा-चटका लेही !!7!!

अटकन-चटकन वो खेलाही,हार-जीत के खेला !
ठोंस सजा हे चीपो-लादो,पाही रोज झमेला !!8!!

केंउ मेंउ के पारी आही,हमतो कान बचाबो !
काकी लमरत दौंड़ लगाही,ओला तेज भगाबो !!9!!

पत्तो कइही आरा-पारा,तोरे सोर उड़ाही !
कइबे तँयहर चटनी पीसे,बोलत साठ गुड़ाही !!10!!

गाहीं बढ़िया गीत भड़ौनी,सुनबो कान दबाके!
खाबो पींयर भात अघाके,लाडू खास चबाके !!11!!

देख कका तँय करले शादी,देख-ताक के आजा !
जाबो आँसो हमन बराती,लान लगाबो बाजा !!12!!

*रचनाकार : श्री असकरन दास जोगी*
ग्राम : डोंड़की,पोस्ट+तह : बिल्हा, जिला : बिलासपुर (छ. ग.)
मो. नं. : 9340031332
www.anjoripakh.blogspot.com

सरसी-छंद

*सरसी छंद*

*संकर तान्डव*

संकर तान्डव झुमरत नाचे,धरती दाई देख !
पटक-पटक के गोड़ दबाथे,छाती अपन सरेख !!1!!

चालै तिरछुल घेरी बेरी,डमरु ठोंक बजाय !
कामदेव तो रोवै दाई,कइसे जान बचाय !!2!!

मोह तीर के कारन जाते,संकर जोग रमाँय !
तीर मार के काबर भागे,अतनू आज डराय !!3!!

रती तको तो थरथर काँपे,सुनके संकर भाख !
तीसर आँखी उगले आगी,अतनू होगै राख !!4!!

तान्डव करके नटराज बने,महादेव भगवान !
येकर सेवा जेन करे जी,होवत हे गुनवान !!5!!

*गोदी*

गोदी खनथे हँकरत रामा,रोजी मजुरी ताय !
पानी डोंकत पोछे माथा,जाँगर भूँख मिटाय !!1!!

गैंती झउहाँ राँपा कुदरी,लाने घर ले रोज !
बड़का ढ़ेला कोड़त फेंके,मारे धरहा सोज !!2!!

बेंठ रोंठ हे अजिरन लागै,थथर-मथर हे हाल !
नापै गोदी फीता डारै,फेर खनै रे पाल !!3!!

माई पिल्ला जम्मे खनथें,पेट-पीठ ला देख !
बनी-भुती तो जिनगी बनगे,मेंट लिखे जी लेख !!4!!

राहत आये राहत नइहे,जाँगर टोरैं रोजे !
गरीबहा हा गरीबहा हे,दुनिया सुख के खोजे !!5!!

*रोटी*

रोटी राँधे बड़का दाई,खाबो दूध मँ बोर !
परसा पाना कसके तोपे,आगी बढ़िया जोर !!1!!

रोठ-मोठ तो रोटी हावै,अँगरा सेंकत नेत !
बबा बने हे देखत गोई,मन तो लाहो लेत !!2!!

नवा-नवा हे पत्तो लाने,पैरी बाजे लोर !
बेटा बइठे जोहत हावे,लाही रोटी टोर !!3!!

चटनी पीसत हावे दाई,माली मा धर लाय !
घर भर बइठें आसा बाँधे,चाँट-चाँट के खाँय !!4!!

सबके पेट भरे जी रोटी,लेत अँगाकर नाव !
कइथैं रोटी राजा जेला,बढ़िया नेक बनाव !!5!!

*बलात्कार*

बलात्कार ले होवत पीरा,सिहरत हंसा रोज !
माथा पटकत रोवै नारी,सतजुग खोजा खोज !!1!!

लाज हार तो टोरत हावै,कइसे पापी होत !
दारू-मंद के खेला खेले,मुँह में कालिख पोत !!2!!

कइसन भाग पाय रे नारी,रोथच चिहरत आज !
जाग तहूँ तो धरले लाठी,बनके गिरते गाज !!3!!

पापी आँखी घुरथे तोला,अली-गली मा देख !
फोरत जाते अइसन आँखी,काया अपन सरेख !!4!!

बलात्कार के दागी दागे,रोवत हिरदे मोर !
संविधान के धारा टोरें,साँठ-गाँठ ला जोर !!5!!

हमर आदिवासी के माटी,होगे बिरबिट लाल !
बस्तर बिगड़े कारन कोने,देखव  संगी हाल !!6!!

जाति बलात्कारी के बेर्रा,मान-धरम हे नास !
जिनगी ओकर महुरा होथे,जरथे बनके लास !!7!!

छत्तीसगढ़ तको तो कोसे,अपन भाग के रात !
देख राजधानी सो होथे,बलात्कार के घात !!8!!

*जीमी काँदा*

जीमी काँदा राँधे हावै,चलव चलीं जी खाय !
बबा डोकरा तोला हमला,सबला लेहे आय !!1!!

दही-महीं के अम्मठ भारी,पत्तो रोज सधाय !
सोसन भर तो खाही संगी,कतको सुँघत अघाय !!2!!

बढ़िया डबका डबके हावै,करछुल मात मँताय !
मिरचा हरदी धनिया मेथी,नून रगबग डराय !!3!!

गली-खोर तो कहरत हावै,उड़त बने हे सोर !
काकर घर में राँधे संगी,सुँघे नाक ला जोर !!4!!

*रचनाकार : श्री असकरन दास जोगी*
ग्राम-डोंड़की,तह.+पोस्ट-बिल्हा,जिला-बिलासपुर(छ.ग.)
www.anjoripakh.blogspot.com

जोगी के आल्हा

*आल्हा छंद*

*1.खाँटी आँव छत्तीसगढ़िया*

छत्तीसगढ़ मोर महतारी,जेकर मँय तो लाल कहाँव !
खाँटी आँव छत्तीसगढ़िया,जेकर छाँव जिनगी पहाँव !!1!!

छत्तीसगढ़ी साहित साधक,गुरु निगम के चेला आँव !
खाँटी आँव छत्तीसगढ़िया,दया मया ओकर ले पाँव !!2!!

*2.सरहा जोधाई के ललकारे*

रजुआ बिट्ठल के फटकारे,बइरी थरथर काँपत जाय !
सरहा जोधइ के ललकारे,कपटी मनखे लड़ ना पाय !!1!!

धरती माता रोज दुलारे,लबरा कटकट दाँत चबाय !
पखरा कस छाती देखाथे,ठोंकत छाती आज बलाय !!2!!

तेंदू लाठी धर के चाले,पटक-पटक लेवत हुरियाय !
गमछा बाँधत हे कनिहा मा,तब्बल धरके सोर मचाय !!3!!

लागे ठेनी तो ठन जाही,दोनो डाहर बउछा जाय !
खोजे ठाउर कहाँ ले पाही,फुदकी बगरे माँत उड़ाय !!4!!

देखत मनखे भिरभिर भागे,लहू रकत के धार बहाय !
पानी माँगे नइतो पाहीं,लाठी तब्बल जबर सहाय !!5!!

होंकड़-होंकड़ मारत जाथें,जोध्दा सरहा जोधइ आँय !
तातर मेछा अँइठैं भाई,दोनो भाई बीर कहाय !!6!!

*3.बिरहा आगी लेसत हावे*

धधकत हावे हिरदे भठ्ठी,काया माया फाँस पराय !
कलप-कलप के रोथे हंसा,कइसे मुकती हाँथ धराय !!1!!

पाहो परगे मोह-मया रे,सुरती लकड़ी जरथे पोठ !
बिरहा आगी लेसत हावे,अबक तबक के कइसन गोठ !!2!!

अली-गली तो रण अस लागे,बैरी लागै जोही मोर !
नैन तीर वो धरके आथे,देखत रइथे नैना चोर !!3!!

पटर-पटर तो करथे बोली,मोह-मया के चकमक ठाँय !
अंग-अंग तो लगथे आगी,बोली फुटथे बम कस धाँय !!4!!

सुरता डोरी छाँदत हावे,बीर-धीर ले तीरत जाय !
हार-हार के बइठे पाबे,कतको जोध्दा माथ नवाय !!5!!

लाल ओंठ हे टिहकत भाई,कइसे काया अपन बचाँव !
बरसा बरसे मिलकी हाँसी,दया करा तो देख उचाँव !!6!!

गड़ी-वड़ी ले खाके धोखा,खेल मया के हार गयेवँ !
भरे पुरा हे नदिया जेमा,हाँथ गोड़ मैं मार गयेवँ !!7!!

डार-पान के नइहे थेघा,कइसे जाहूँ जोही पार !
बोहत हावै कठवा डोंगा,चलते जावै धारे धार !!8!!

उबुक-चुबुक तो होवन लागै,काल-काल के मानै बात !
घेरत हावै हमला गोखी,जिनगी होवत कारी रात !!9!!

देके धोखा कपटी साथी,आज काल तो करही मौज !
हरहर-कटकट कटही भाई,पाही ओहू नारद फौज !!10!!

*रचनाकार-श्री असकरन दास जोगी*
ग्राम-डोंड़की,तह.+पोस्ट-बिल्हा,जिला-बिलासपुर(छ.ग.)
www.anjoripakh.blogspot.com

कुण्डलियाँ

*कुण्डलिया-छन्द*

माते कड़कत जाड़ हे,हबरे हमरो तीर !
ओढ़े बइठे साल ले,डरथे कतको बीर !!
डरथें कतको बीर,तान के आगी बारव !
पहिरव चमकत कोठ,जाड़ ले आँसो टारव !!
होवत नइहे घाम,सुरुज ला खींचत लाते !
कटकट करथे दाँत,बने अस जाड़ा माते !!1!!

बेटी पढ़बे आज वो,रोसन करबे नाँव !
दुलरी गढ़बे भाग तँय,बनबे सुख के छाँव !!
बनबे सुख के छाँव,टार ले जग अनहोनी !
अबड़े पाबे मान,लान पोथी पढ़ नोनी !!
नारी समरथ लाज,बनाके धरबे पेटी !
रोसन करबे नाँव,दमक के पढ़बे बेटी !!2!!

आसन बइठे संत हे,जोहय नयना आज !
काया माया तंग हे,राखव सतगुरु लाज !!
राखव सतगुरु लाज,छिटक के निरमल पानी !
तारव हंसा खोज,आप हव परम गियानी !!
पावन संगत छाँव,सुआ कस सुघ्घर बासन !
हबरव जी घर मोर,सजे हे सतगुरु आसन !!3!!

काटे लकड़ी रोज तँय,फाती करते आज !
आगी बरही पोठ जी,चुलहा करही राज !!
चुलहा करही राज,बने अस चुरही जेवन !
मरही कतको भूँख,सबो झन करहीं सेवन !!
गाँजे लकड़ी लान,चीर दे साँटे-साँटे !
कबके माढ़े ताय,परे हे काटे-काटे !!4!!

भाजी चुरगे साध के,लेड़गा पइधे आय !
हरियर-हरियर डार हे,खेंड़हा भाजी ताय !!
खेंड़हा भाजी ताय,महीं मा अड़बड़ खाथें !
घपटे बारी पोठ,कोड़ के कतको लाथें !!
बेंचे जाते आज,देख हो जाते राजी !
धरते बोझा बाँध,बेंच के आते भाजी !!5!!

जोहत आज बसंत ले,आही कइके संत !
मातत-झुमरत आत हे,लागत निच्चट कंत !!
लागत निच्चट कंत,पंचमी आँसो छाहित !
आमा मँउरे डार,बेंदरा मारत राहित !!
कतको बनही बात,माँघ तो मनवा मोहत !
पावत नइहे संत,मया के रद्दा जोहत !!6!!

माते हावे खेत में,सरसो ओरी ओर !
ताना हमला देत हे,परसो भेजे सोर !!
परसो भेजे सोर,हबर नइ पाये चिट्ठी !
पारत खिड्डी कार,रिसा झन होले मिट्ठी !!
काहे देथच दोस,तहीं हर गाँवे आते !
सरसो ओरी ओर,खेत में हावे माते !!7!!

जाड़ा भागत छोड़ के,माँघी आये देख !
कहरे-महरे पोठ जी,अँगना तोर सरेख !!
अँगना तोर सरेख,आत हे गरमी बेरा !
बाँदर आही रोज,छानही परही डेरा !!
होबे कतका खार,हरक के टारत गाड़ा !
माँघी आये देख,छोड़ के भागत जाड़ा !!8!!

टोरे पाना डार कस,होगे तन के हाल !
बिरहा आगी लेस के,ठोंक बजावय गाल !!
ठोंक बजावय गाल,बाँध के सुरती डोरी !
सुनथच मोर बसंत,बात नइ माने गोरी !!
कतका तरसवँ दोस,परत हे ताना तोरे !
होगे बारा हाल,मया के पाना टोरे !!9!!

माते फूल बसंत के,भँवरा मनवा भाय !
देखे ताके टेंड़ के,लाहो लेहे आय !!
लाहो लेहे आय,करे चुहके के जोखा !
काँटा लेवत टार,उदिम तो हावय चोखा !!
झुमरे भँवरा देख,कहाँ तँय देखे पाते !
भँवरा मनवा भाय,फूल तो चुहके माते !!10!!

डारव खातू खेत में,डुठरा होवत धान !
पानी बरसे झोर के,अइला जावत पान !!
अइला जावत पान,डार दव खातू माटी !
रुपिया लागय लाख,लान लव दवई खाँटी !!
कतको बाधा आय,फेर मेहनत मँ मारव !
हरिया जावय धान,बने अस खेत म डारव !!11!!

ठलहा होगे हाल हर,ताना सुनत पहावँ !
खोजे न मिले नौकरी,जाँगर चोर कहावँ !!
जाँगर चोर कहावँ,नौकरी साहब देथे !
बेंचे कइथे खेत,दमक के वो घुँस लेथे !!
अइसन मोरे हाल,जइसने बइला बलहा !
ताना सुनत पहावँ,बितावँव दिन ला ठलहा !!12!!

लाते गमछा सेत के,राजा पुरखा तान !
छत्तीसगढ़ हमार हे,धँवरा गमछा सान !!
धँवरा गमछा सान,बाँध के पागा देखन !
तातर मेछा राख,गली में अँइठत रेंगन !!
धर के पइसा आज,सेठ सो लेके आते !
राजा पुरखा तान,सेत के गमछा लाते !!13!!

हाँसत हावय देख के,बइरी चंदा आज !
बाढ़त पीरा मोर रे,आवत नइहे लाज !!
आवत नइहे लाज,हाँस के देखच मोला !
पीरा होगे गाढ़,सोर तो लमरा ओला !!
हिरदे कलपे रोज,लुका के काहे पासत !
बइरी चंदा आज,देख के हावय हाँसत !!14!!

चाँदी असन चक-चमकत,आगे फागुन फेर !
माते चारो ओर रे,खेलत हावय घेर  !!
खेलत हावय घेर,गुलाबी बढ़िया छाही !
रंगत हमला रंग,बछर भर सुरता आही !!
तरसे सरपट खार,सुखागे कइसे काँदी !
आगे फागुन फेर,दिखत हे जइसे चाँदी !!15!!

रचनाकार-श्री असकरन दास जोगी
पता:ग्राम-डोंड़की,पोस्ट+तहसील-बिल्हा,जिला-बिलासपुर(छ.ग.)
www.anjoripakh.blogspot.com